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विभाग के बारे में
भाषा अभिव्यक्ति अथवा सम्प्रेषण का माध्यम ही नहीं अपितु उससे पूर्व ज्ञान और चिन्तन का माध्यम है।
भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम ही नहीं, वरन वह संस्कृति की वाहक भी है। साथ ही, अपने साहित्य के जरिये सामाजिक-सांस्कृतिक और परिवेशगत विशिष्टताओं को भी आधार प्रदान करती है। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान राज्य सरकार का एक ऐसा सांस्थानिक प्रयास है जिसके माध्यम से उत्तराखण्ड में भाषाओं के संरक्षण, उनके विस्तार और प्रोत्साहन संबंधी कार्यों को संपादित किया जा रहा है। वर्ष 2010 में अपनी स्थापना के बाद से भाषा संस्थान ने विभिन्न परियोजनाओं, संगोष्ठियों और सम्मान कार्यक्रमों के जरिये साहित्यकारों और जनसामान्य तक पहुंचने का प्रयास किया है। उत्तराखण्ड राज्य अनेक उपभाषाओं और बोलियों का प्रयोग करने वाला ऐसा क्षेत्र है जहां विपुल मात्रा में साहित्य रचा गया है और वर्तमान में भी रचा जा रहा है। इस दृष्टि से भाषा संस्थान विभिन्न भाषाओं, उपभाषाओं और बोलियों के साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए सतत् रूप से प्रयासरत है। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान आगामी वर्षों में भी अपनी विभिन्न प्रकाशन परियोजनाओं, भाषा एवं साहित्यिक-संगोष्ठियों एवं सम्मान कार्यक्रमों के माध्यम से संपूर्ण प्रदेश में अपनी गतिशीलता बनाए रखेगा।
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पुस्तक मेलों का आयोजन
पुस्तकें अनमोल हैं। पुस्तक हमारी सबसे अच्छी मित्र है। व्यक्ति आते, हैं चले जाते हैं, परन्तु श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, उपदेश, संस्कृति, सभ्यता , मानवीय मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित…

प्रतिभावान छात्रों को पुरस्कृत करना।
उत्तराखण्ड हिन्दी, उर्दू एवं पंजाबी अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड में हिन्दी, उर्दू एवं पंजाबी विषय…