हिन्दी में विज्ञान लेखन एवं लोक विज्ञान राष्ट्रीय संगोष्ठी (07 मार्च 2024)
हिन्दी में विज्ञान लेखन एवं लोक विज्ञान राष्ट्रीय संगोष्ठी (07 मार्च 2024)
हिन्दी में विज्ञान लेखन एवं लोक विज्ञान राष्ट्रीय संगोष्ठी (07 मार्च 2024 उत्तराखण्ड भाषा संस्थान तथा हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी में विज्ञान लेखन एवं लोक विज्ञान राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन यूजीसीएमएमटीटी कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल सभागार में आयोजित किया गया। आमंत्रित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं विश्वविद्यालय गीत गाकर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। संगोष्ठी का प्रथम सत्र हिन्दी में विज्ञान लेखन पर आधारित रहा। जिसमें वक्ता के रुप में उपस्थित डा. मोहित जोशी प्रवर्तक ऐरिज नैनीताल द्वारा अपने वक्तव्य में कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी में भारतीय भाषा का उपयोग किया जाना आवश्यक है हमारी भाषा ही हमारी पहचान है। विज्ञान लेखन में मुख्य भूमिका अनुवाद की है चूकि विज्ञान में हिन्दी अनुवाद लेखन उतनी मात्रा में नही मिल रहा, जितना की अन्य विषयों में होता है। साथ ही बताया कि लोक विज्ञान उतना पुराना है जितना की मानव सभ्यता है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित श्री देवेन्दे मेवाड़ी ने अपने वक्तव्य की शुरुवात में शैलेष मटियानी की निम्न पंक्ति आखों में स्वप्न अनुस्वर हो गये…………………विज्ञान ज्ञान के अनुसंधान द्वारा किया गया। उनके द्वारा आर्यभट्ट से लेकर आज किए जा रहे अविष्कारों से सभी को अवगत कराते हुए हिन्दी में विज्ञान लेखन पर प्रकाश डाला उन्होने कहा कि आम जनमानस तक वैज्ञानिक द्वारा किए गए अविष्कार को लेखक द्वारा अपने लेख में लिखकर पाठक को उपलब्ध कराना विज्ञान लेखन की श्रेणी में आता है। जहाँ लेखक इसमें सेतु का कार्य करता है। विज्ञान का लेखन सहज, सरल स्वरुप में लिखा जाय। विज्ञान में कथा नाटक आत्मकथा जीवनी कहानी लिखी जाय। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में विशिष्ट अतिथि के रुप में श्री नन्दन सिंह बिष्ट संयुक्त सचिव भाषा विभाग उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रतिभाग किया गया। संगोष्ठी में सुश्री जसविन्दर कौर उप निदेशक उत्तराखण्ड भाषा संस्थान देहरादून द्वारा अपने वक्तव्य में सर्वप्रथम सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी को संस्थान द्वारा आयोजित की जा रही समस्त योजनाओs से अवगत कराया गया तथा हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी के द्वारा किये गये प्रयास की सराहना की और बताया की हिन्दी में विज्ञान लेखन की महत्वपूर्ण भूमिका है, साथ ही जो शोद्यार्थी अपने सुझाव संस्थान को भेजे जिससे उन पर विचार किया जा सके। संगोष्ठी की अध्यक्ष प्रो.नीता बोरा शर्मा, निदेशक डी.एस.बी. परिसर द्वारा अपने वक्तव्य में बताया कि हम आने वाले विद्यार्थियों को विज्ञान लेखन को हिन्दी में किए जाने का प्रयास कराना चाहिए।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय ऐसे अनुवादक प्रदान करें जिनके द्वारा हिन्दी में विज्ञान लेखन कार्य में अपना सहयोग प्रदान कर सके साथ ही शब्दकोष का निर्माण भी किया जाय। डाॅ. देव सिंह पोखरिया की पुस्तक कुमाऊँ की लोक गाथाएं पुस्तक का विमोचन किया गया । संगोष्ठी के प्रथम सत्र के अन्त में प्रो. चन्द्रकला रावत द्वारा सभी अतिथियो एवं स्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। संगोष्ठी का संचालन डाॅ. कपिल कुमार द्वारा किया गया। संगोष्ठी में द्वितीय सत्र लोक विज्ञान पर केन्द्रीत रहा। संगोष्ठी में लोक विज्ञान विषय में वक्ता के रुप में आमंत्रित प्रो.डी.एस. पोखरिया, प्रो. दिवा भट्ट ने लोक कथाओं लोक पराम्पराओं और लोक विज्ञान के विषय मंे अपने विचार प्रस्तुत किये। द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि देवेन्द्र मेवाड़ी जी द्वारा की गयी। संगोष्ठी की अध्यक्षता, डाॅ. बिहारी लाल जलन्धरी, द्वारा की गयी जिसमें उनके वक्तव्य में बताया कि सभी को लोक परम्पराओं और लोक कथाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन पर जोर दिया जाना चाहिए। जिससे उनको हमेशा जीवन्त रखा जा सके। सत्र का संचालन डाॅ. दीक्षा सरल द्वारा किया गया । संगोष्ठी में श्री हयात सिंह रावत डाॅ. नारायण सिंह जन्तवाल प्रो.पी.एस. बिष्ट प्रो. ज्योति जोशी प्रो. हरिप्रिया पाठक प्रो. सावित्री कैड़ा प्रो.टी.डी.जोशी प्रो. एम.एस.मावड़ी सहित उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के उप निदेशक सुश्री जसविन्दर कौर सहित श्री नितिन कुमार श्री मौहम्मद तोय्यब श्री कुलदीप नेगी श्री अमर सिह थापा एवं श्री देव लाल आदि कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।